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माँ MAAN | MULNIVASI POEM

तेरे रहमो कर्म पे निर्भर है ये जहाँ  बिन तेरे नही जीवन तुझको नमन है माँ  तेरी रहमतें हुई तो मैं हूँ यहां  बिन तेरे इस जगत में खुशियां भी हैं...




तेरे रहमो कर्म पे निर्भर है ये जहाँ 
बिन तेरे नही जीवन तुझको नमन है माँ 
तेरी रहमतें हुई तो मैं हूँ यहां 
बिन तेरे इस जगत में खुशियां भी हैं कहाँ 

तेरे रहमो कर्म पे निर्भर है ये जहाँ 
बिन तेरे नही जीवन तुझको नमन है माँ 

सृष्टि की जननी जीवन दायिनी 
तेरी वजह से जिंदगी सुहानी 
जीवन को हर एक सींचा है तूने 
तेरी वजह से है आज और कल 
बिन तेरे जीवन ज्योति कहाँ -2     
  
तेरे रहमो कर्म पे निर्भर है सारा जहाँ       
बिन तेरे नही जीवन तुझको नमन है माँ 

क्या पैर है क्या है उनका उपयोग 
उंगली पकड़ कर तूने सिखाया 
चलना किधर है तूने बताया 
जीवन को सही दिशा दिखाकर 
आदर्श बनकर रास्ता दिखाया 
मंजिल बताया मेरी कहाँ -2 
मंजिल को पाकर मैं आज खुश हूं 
कोशिश रही थी तेरी वहा 

तेरे रहमो कर्म पे निर्भर है ये जहां 
बिन तेरे नही जीवन तुझको नमन है माँ 



 ~ माँ | महेंद्र सिंह कामा

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