मन मयूरा MAN MAYURA |MULNIVASI POEM
जैसी इंदु बिखराये चांदनी वैसे पुष्प पर भंवरा मंडराये लेकर कटनी चले नीर को मिलो मिल धरा लहराए जैसे तुम हो कोई रागिनी ध्वज की तरह मन म...
जैसी इंदु बिखराये चांदनी वैसे पुष्प पर भंवरा मंडराये लेकर कटनी चले नीर को मिलो मिल धरा लहराए जैसे तुम हो कोई रागिनी ध्वज की तरह मन म...
सूरज से प्रकाश न छूटे न दिए से बाती आंखों से ना छूटे रोशनी न माला से मोती फूलों से न खुशबू छूटे न प्रेसी से साथी प्रेम न छूटे कभी ह...
वृक्षों से है हरियाली प्रकृति सुंदरता की है प्याली एक एक वृक्ष लगाकर देखो मिल जाएगी सबको खुशहाली उष्णता जब बढ़ती है सूरज से जीव हो ज...
अभी तो बसंत उदय हुआ है पतझड़ की अब हुई विदाई गम भूलो पतझड़ के सारे फूल और खुशबू करे भरपाई हार बने हैं वह खुशियों का सदियों से थे जो ...
है फितरत मेरी देना खुशी और खुशबू सरेआम को बीच रहकर प्रसून्न से चुराना छोड़ दे मक्खी खुशबू अब तो फूल से अगर है तुझ में दम निकाल शहद ...
चांदनी केवल चाँद चाँद में रहने वाली चीज नही है चांदनी केवल आसमान में चमकने वाली चीज नही है चांदनी सिर्फ नही चमकाती आसमान और घर का को...
कुदरत तेरे रूप अनेक गगन से लेकर धरा तक देख कहीं मीलों तक जल की धारा कहीं धरा पर उपवन प्यारा सिंधू विशाल पठार कहीं है ऋतुओं की बहार य...