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तुम बनो यथार्थ, सच का दर्पण | SACH KA DARPAN || MULNIVASI POEM

  तुम बनो यथार्थ, सच का दर्पण महापुरुष साहित्य की बात करो जो दिखता है वह यथार्त है तुम सत्य पर बात करो तुम बनो यथार्त साहित्य का दर्पण ...

 

तुम बनो यथार्थ, सच का दर्पण
महापुरुष साहित्य की बात करो

जो दिखता है वह यथार्त है
तुम सत्य पर बात करो
तुम बनो यथार्त साहित्य का दर्पण
सिर और उसके अंदर की बात करो
तुम बनकर सच उभारो जग में
जिंदादिली की बात करो

तुम बनो यथार्थ साहित्य का दर्पण
सिर और उसके अंदर की बात करो

ना बनो भीड़ का तुम हिस्सा
तुम इस जग का नेतृत्व करो
तुम करो साफ मानसिकता को
और दिमागों को तुम वाश करो
तुम बनो सशक्त की परिभाषा
तुम मूलनिवासी इतिहास गढ़ो
और बढ़ जाओ विजय के पथ पर तुम
अपना ऐसा हर वार करो

तुम बनो यथार्थ, सच का दर्पण
महापुरुषों ,साहित्य की बात करो

तुम ही तिलका तुम्ही बिरसा
तुम्ही शाहू तुम्ही पेरियार
तुम्ही फूले तुम्ही कबीर
तुम भीमराव सर छोटूराम
तुम अंसारी तुम भाऊ पाटिल
तुम दिनाभाना,तुम कांशीराम
तुम खापर्डे की बात करो

तुम बनो यथार्थ, सच का दर्पण
महापुरुष साहित्य की बात करो

संकल्प लो आज अभी से तुम
ना फसोगे तुम आडम्बर में
अपने पुरखे,महापुरुषों को
ही रखेंगे सिर्फ अब घर मे
तुम बात करो हक अवसर की
तुम अधिकारों की बात करो
जिससे मिलते हैं हक सारे
उस संविधान की बात करो

तुम बनो यथार्थ, सच का दर्पण
महापुरुष साहित्य की बात करो

~ तुम साहित्य की बात करो | महेंद्र सिंह कामा









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