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स्वच्छ भारत SWACHCHH BHARAT | MULNIVASI POEM

  स्वच्छ हो भारत अपना जन जन का जो सपना स्वच्छ हो नदियों के किनारें स्वच्छ हो गली सड़के व चौबारे आने पर पतझड़ भी लहरायें स्वच्छता की बहा...

 


स्वच्छ हो भारत अपना

जन जन का जो सपना
स्वच्छ हो नदियों के किनारें
स्वच्छ हो गली सड़के व चौबारे
आने पर पतझड़ भी
लहरायें स्वच्छता की बहारें     

      स्वच्छ धरा को कर दो सारी
      स्वच्छता है नीति हमारी
      एक स्वच्छता का रोज बढायें
      धरा व नभ फिर स्वच्छ होगा सारा
      गन्दगी पर चला दो झाड़ू प्यारा
      चमकेगा फिर देश हमारा

स्वच्छ होगीं फिर सांसे सबकी
स्वच्छता होंगी फिर आँखे सबकी
स्वच्छता से स्वस्थ होगा देश
स्वच्छता का जोश जगाकर
कोना कोना साफ कराकर
महकेगा फिर सारा परिवेश
        
       सड़कें मीलों मिल सवछ हों
       पोखर ताल और झील स्वच्छ हो
       पूजा शिक्षा के स्थल महकें
       गुफाओं के मुहाने महकें
       खेत खलियान हरे उपवन हों

~ स्वच्छ भारत | महेंद्र सिंह कामा 

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