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चांद जब निकले CHAND JAB NIKALE |MULNIVASI POEM

  चाँद अगर निकले तो बादल भी संवर जाता है तेरे दीदार से दिल मेरा बहल जाता है हवा का झोंका जब खुश्बू के संग आता है तेरी नजदीकियों का पल व...

 



चाँद अगर निकले तो बादल भी संवर जाता है
तेरे दीदार से दिल मेरा बहल जाता है
हवा का झोंका जब खुश्बू के संग आता है
तेरी नजदीकियों का पल वो याद आता है
    चाँद अगर निकले तो बादल भी संवर जाता है
    तेरे दीदार से दिल मेरा बहल जाता है

मेरी नज़रों से मिले जब भी तेरी ये नजर
ज़माने भर में बढ़ जाती है मेरी ये कदर
हंस के तू चल दे संग मेरे जब चार कदम
दिल का वो आलम खुशियों में बदल जाता है
    चाँद अगर निकले तो बादल भी संवर जाता है
    तेरे दीदार से दिल मेरा बहल जाता है

तू नजरों में रहे तो धड़कती है ये धड़कन
दिखे ना एक पल जो बढ़े है दिल की तड़पन
तू आँखों की है मंजिल तू दिल का है ठिकाना
तेरा संग ही है सब कुछ जो दिल को भाता है
    चाँद अगर निकले तो बादल भी संवर जाता है
    तेरे दीदार से दिल मेरा बहल जाता है

मेरी सुबह हो तुझसे शाम तुझपर खतम है
तू मेरे दिल की है धड़कन तू मेरा है शनम
मीत तू मेरा प्यारा रहा जन्मो जन्म है
दुप्पटा बादलों सा तेरा लहराता है
    चाँद अगर निकले तो बादल भी संवर जाता है
    तेरे दीदार से दिल मेरा बहल जाता है

चांद जब निकले | महेंद्र सिंह कामा


chand jab nikale to. Badal bhi sansar jata hai 
Tere didaar se dil mera bahal jaata hai  






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