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राह में हिमालय RAH ME HIMALAYA | MULNIVASI POEM

  राह में देखो खड़ा है हिमालय रुख हवाओं ने बदला नहीं है गगन ऊँचा हो कितना भी चाहे उड़ान परिंदों ने उस पर भरी है राह में देखो खड़ा है हिमा...


 

राह में देखो खड़ा है हिमालय
रुख हवाओं ने बदला नहीं है
गगन ऊँचा हो कितना भी चाहे
उड़ान परिंदों ने उस पर भरी है

राह में देखो खड़ा है हिमालय
रुख हवाओं ने बदला नहीं है

निशा की रौनक सदा है सितारें
झिलमिल उनकी सदा ही रही है
चाँद चमकता हो ज्यादा भले ही
रौनक सितारों की छुपती नहीं है

राह में देखो खड़ा है हिमालय
रुख हवाओं ने बदला नहीं है

हित सामाजिक तू दिल में बसा ले
जिंदगी असली जीना वही है
पानी छलनी में भरता नही है
नाव कागज की चलती नहीं है

राह में देखो खड़ा है हिमालय
रुख हवाओं ने बदला नहीं है

चाँद सूरज की देखो है बारी
लग गया है ग्रहण उन्हें भी
राह में बाधायें कितनी भी आयें
सूरज पश्चिम से निकला नहीं

राह में देखो खड़ा है हिमालय
रुख हवाओं ने बदला नहीं है 
~
Rah me dekho khada hai himalay 
Rukh hawaon ne badala nahi hai 
Gagan uncha ho kitana bhi chahe 
Udaan parindon ne us par bhari hai 

Rah me dekho khada hai himalay 
Rukh hawaon ne badala nahi hai 

Nisha ki raunak sada hain sitare
Jhilmil usski sada hi rahi hai 
Chand chamakata ho jyada bhale hi 
Raunak sitaron ki chhupati nahi hai 
Rah me dekho khada hai himalay 
Rukh hawaon ne badala nahi hai 

Hit samajik tu dil me basa le 
Jindagi asali jina vahi hai 
Pani chhalani me bharata nahi hai 
Nav kagaj ki chalati nahi hai 

Rah me dekho khada hai himalay 
Rukh hawaon ne badala nahi hai 

Chand suraj ki dekho hai bari 
Lag gaya hai grahan unhe bhi 
Rah me badhayen kitani bhi aayen 
Suraj pashchim se nikala nahi hai

Rah me dekho khada hai himalay 
Rukh hawaon ne badala nahi hai 

~राह में देखो खड़ा है हिमालय |महेन्द्र सिंह कामा


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