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क्रान्तिज्योति सावित्री बाई फुले KRANTIJYOTI SAVITRI BAI PHULE | MULNIVASI DIARY

                       जीवन कार्य           क्रान्तिज्योति सावित्री बाई फुले  जन्म : सावित्री बाई फुले का जन्म 03 जनवरी 1831 को नायगाव तालु...

                      जीवन कार्य 

         क्रान्तिज्योति सावित्री बाई फुले 





जन्म : सावित्री बाई फुले का जन्म 03 जनवरी 1831 को नायगाव तालुका खंडाला, जिला सातारा,राज्य महाराष्ट्र में हुआ 

पिता का नाम : सावित्री बाई के पिता जी का नाम खन्दोजी नेवासे है 

माता का नाम : सावित्री बाई फुले की माता जी का नाम लक्ष्मी खंडोजी नेवासे 

विवाह : सावित्री बाई फुले का विवाह 9 वर्ष की उम्र में 13 वर्ष के ज्योतिबा गोविन्दराव फुले के साथ 1840 में हुआ 

शिक्षा : 1841 में इन्होंने ज्योतिबा फुले के साथ शिक्षा शुरू की 1846 और 1847 में तीसरे व चौथे वर्ष की परीक्षा पास की 

नारी मुक्ति आंदोलन : 01 जनवरी 1848 में भारत की सबसे पहली लड़कियों की पाठशाला भिड़े वाड़ा, पुणे में शुरू की यह पाठशाला चलाने वाली सावित्री बाई फुले भारत की सबसे पहली महिला अध्यापक थी नारी मुक्ति आंदोलन की पहली नेता है ।

शुद्र और अतिशूद्रों की शिक्षा : 1848 में सावित्री बाई ने शुरू की 

सर्वश्रेष्ठ शिक्षक सम्मान : 16 नवम्बर 1852 को शिक्षा क्षेत्र में उत्कृष्ट कामगिरी के लिए मेजर कैंडी ने उन्हें सम्मानित किया सावित्री बाई फुले ने अपने पति क्रांतिकारी नेता ज्योतिराव फुले के साथ मिलकर लड़कियों के लिए 18 स्कूल खोले उन्होंने पहला और अठारहवां स्कूल भी पुणे में ही खोला ।

बालहत्या प्रतिबंधक ग्रह : ब्राह्मण गर्भवती बलात्कार पीड़ितों के लिए बालहत्या प्रतिबंधक ग्रह की 28 जनवरी 1853 को स्थापना की ।

पुरुस्कार समारोह : 12 फरवरी 1853 को मेजर कैंडी की अध्यक्षता में पुरुष्कार समारोह आयोजित किया गया 

काव्य संग्रह, काव्य फुले : 1854 में उनका पहला काव्यसंग्रह काव्य फुले प्रकाशित हुआ ।

रात्रशाला  : मजदूरों किसानों के लिए रात्रशाला 1855 में शुरू की ।

ज्योतिबा के भाषण : 25 दिसंबर 1856 को ज्योतिबा फुले के भाषण प्रकाशित किये ।

बालहत्या प्रतिबंधक गृह , अनाथालय : 1863 में अपने घर मे शुरू किया ।

घर का कुआ सबके लिए खुला किया : 1868 में सबके लिए अपने घर का कुआ अछूतो के लिए खुला किया ।

पहला विधवा विवाह : 25 दिसंबर 1873 में पहला विधवा विवाह की तैयारी की यह विवाह सत्य शोधक समाज के अनुसार हुआ ।

दत्तक पुत्र : आत्महत्या करने जाती हुई एक विधवा ब्राह्मण महिला काशीबाई की अपने घर मे प्रसूति करवा उसके बच्चे को अपने दत्तक पुत्र के रूप में स्वीकार किया । उसका नाम यशवंत रखा । पुत्र यशवंत को पढ़ा लिखाकर उन्होंने डॉक्टर बनाया ।

निशुल्क भोजन गृह : 1876-1877 अकाल में जीवित हानी न होने हेतु महत्वपूर्ण कार्य किया और महाराष्ट्र में 52 निशुल्क भोजनगृह शुरू किए ।

पहला आंतरजातीय विवाह : 04 फरवरी 1889 आधुनिक भारत का पहला आंतरजातीय विवाह कराया ।

पुत्र डॉ यशवंतराव का विवाह ग्यानबा ससाणे की लड़की लक्ष्मी के साथ सत्यशोधक विवाह परम्परा से हुआ ।

राष्ट्रपिता ज्योतिबा फुले परिनिर्वाण : 28 नवम्बर 1890 को परिनिर्वाण हुआ । हजारों साल की परंपरा को तोड़कर उन्होंने ज्योतिबा फुले  की चिता को अग्नि दी । चिता को अग्नि देकर सामाजिक बेड़ियां तोड़ने वाली वह पहली महिला है । तब ज्योतिबा के अधूरे कार्यों को पूरा करने के लिए उन्होंने संकल्प लिया ।

बावन कशी सुबोध रत्नाकर प्रकाशन :1891 में यह रचना प्रकाशित हुई ।

उनका पूरा जीवन समाज मे वंचित तबके खासकर महिलाओं और अनुसूचित पिछड़ों के अधिकारों के लिए संघर्ष में बीता । उनकी एक बहुत प्रशिद्ध कविता है जिसमे वह सबको पढ़ने लिखने की प्रेरणा देकर जाती तोड़ने और ब्राह्मण ग्रंथों को फेंकने की बात करती है ।

किताबों का संपादन : 1892 में सावित्री बाई फुले ने कुछ किताबों का संपादन भी किया इसमें चार किताबे ज्योतिबा फुले के भारतीय इतिहास पर व्याख्यान विषय पर थी इसमें उन्होंने खुद के भाषणों का भी संपादन किया ।

अध्यक्षता : सासवड में सत्यशोधक समाज की मीटिंग की अध्यक्षता की । 

सरकार से जबरदस्ती : 1896 में महाराष्ट्र में फिर से अकाल आया राहत कार्य शुरू करने के लिए सरकार को जबरदस्ती की ।

परिनिर्वाण : 1897 में पुणे में प्लेग की महामारी के दौरान प्लेग रोगियों की सेवा करते हुए प्लेग से बीमार होने के कारण उनका परिनिर्वाण हो गया ।

डाक टिकिट : 10 मार्च 1998 में भारत सरकार द्वारा सावित्री बाई फुले के नाम पर डाक टिकिट प्रकाशित किया ।


~सावित्री बाई फुले,|| महेंद्र सिंह कामा

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