नन्हे हम परिंदे छूलेगे आसमान देखेगी दुनियां सारी देखेगा ये जहाँ इरादे करके अब फोलादी चीर तूफ़ान आगे बढ़ चूमेगी कदम मंजिल खोया है तू कहाँ...
नन्हे हम परिंदे छूलेगे आसमान
देखेगी दुनियां सारी देखेगा ये जहाँ
इरादे करके अब फोलादी
चीर तूफ़ान आगे बढ़
चूमेगी कदम मंजिल
खोया है तू कहाँ
नन्हे है हम परिंदे छुलेंगे आसमान
तू बदले रूख हवाओं का
नदियों को मोड़ दे
तेरे क़दमों में हिमालय
तू सबको पीछे छोड़ दे
तू दौड़ उस दिशा में
तेरी मंजिल है जहाँ
नन्हे है हम परिंदे छुलेंगे आसमान
सारा गगन है तेरा पंख पूरे खोल दे
नजर कर ले ऊँची पर्वत से तू ये बोल दे
उड़ बादलों से ऊपर
सब बंधन खोलके
जी ले जीवन को बेहतर
तेरा है ये जहाँ
नन्हे है हम परिंदे छुलेंगे आसमान
~ नन्हे परिंदे | महेंद्र कामा
Very Nice poem
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