शीश उठाकर आज तिरंगा विश्व पटल पर समझाये जो छुपकर है वार करे वह खुलकर सामने तो आये चुटकी में मसलकर रख देंगे ये राष्ट्र का मेरे दम बोल...
शीश उठाकर आज तिरंगा विश्व पटल पर समझाये
जो छुपकर है वार करे
वह खुलकर सामने तो आये
चुटकी में मसलकर रख देंगे
ये राष्ट्र का मेरे दम बोले
एक पल में फनाह कर देंगे उसे
वो चेहरा अपना दिखलाये
वीर शिवाजी बनकर हम
शत्रु पे फतह करना जाने
अहिंसा अपना है गहना
हम भगत सिंह बनना भी जाने
लुटने दें वतन को हम अपने
हम इतने भी लाचार नही
सब शहरी चैन से सो जाओ
हम तोप शरहद पर हैं ताने
जो खून से अपने सींचें है
ये वतन है ऐसे माली का
समृद्ध करे जी कृषि से
ये मुल्क है ऐसे हाली का
खुशहाल रहे मेरा भारत
ये आवाम की चाहत है
सीमा पर जागे है प्रहरी
ना छिने निवाला थाली का
एक पल में सीधा कर देंगे
जो वतन पे नजरें लायेगा
गौरों की तरह ना भगाएंगे
अब जान से शत्रु जायेगा
सदियों से अपनी शान रही है
दुनियां भर के देशों में
अन्दाजें बयां यूँ करता हुआ
तिरंगा लाल किला लहराएगा
~ राष्ट्र प्रेम | महेंद्र सिंह कामा
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