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गुरु रविदास GURU RAVIDAS | MULNIVASI POEM

  दुनियां जिसकी अब दास है गुरू वही मेरे रविदास है गुरु वही मेरे रविदास हैं जग जिनकी करे अरदास है गुरु वही मेरे रविदास हैं गुरु वही मेर...



 दुनियां जिसकी अब दास है

गुरू वही मेरे रविदास है
गुरु वही मेरे रविदास हैं

जग जिनकी करे अरदास है
गुरु वही मेरे रविदास हैं
गुरु वही मेरे रविदास हैं

गैरबराबरी,  भेदभाव का
जिसने खूब विरोध किया
समता की दी नई रोशनी
मानव का उद्धार किया
दीनहीन को गले लगाकर
उन सब से है प्यार किया
किया जीवन सबका खास है
गुरु वही मेरे रविदास हैं
गुरु वही मेरे रविदास हैं

दुनियां जिनकी अब दास है
गुरु वही मेरे रविदास हैं
गुरु वही मेरे रविदास हैं

जिनकी चाहत रही हो ऐसी
नर - नारी समान हो
बंधुता के साथ रहे सब
सबका ही सम्मान हो
तन पे सबके कपडा हो
और अन्न सभी को मिले यहाँ
नही दुखिया का उपहास है
गुरु वही मेरे रविदास हैं
गुरु वही मेरे रविदास है

दुनियां जिनकी अब दास है
गुरु वही मेरे रविदास हैं
गिरु वही मेरे रविदास है

Duniyan ab jisaki das hai 
Guru vahi mere ravidas hain -2

Jag jisaki karen Ardas hai 
Guru vahi mere ravidas hain -2

Gairbarabri , bhedbhav ka 
Jisane khoob virodh kiya 
Samta ki di nai roshani 
Manav ka uddhar kiya 
Dinhin ko gale lagakar 
Unsab se hai pyar kiya 
Kiya jivan sabka khas hai 
Guru vahi mere ravidas hain-2

Duniya jinki ab das hain 
Guru vahi mere ravidas hain-2

Jinki chahat rahi ho aisi 
Nar Nari saman hon 
Bandhuta ke sath rahen sab 
Sabka hi samman ho 
Tan pe sabke ho kapada 
Aur ann sabhi ko mile yahan 
Nahi dukhiya ka upahas hai 
Mere guru vahi ravidas hain-2

Duniya jinki ab das hai 
guru vahi mere ravidas hai -2

~ Guru vahi ravidas  |M.S.CAMA 

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