जो छीन रहे हैं हक अपने , वो ही देश द्रोही है जिनके दम पर हैं शासक वो , वो आँखें ही अब रोयी हैं इन आँखों के पानी से ही , दिल का शैलाब...
जो छीन रहे हैं हक अपने , वो ही देश द्रोही है
जिनके दम पर हैं शासक वो ,
वो आँखें ही अब रोयी हैं
इन आँखों के पानी से ही ,
दिल का शैलाब है टूट रहा
अस्वीकार करो सत्ता उनकी ,
जो हक़ अपनें है लूट रहा ।
ये जुल्म कि इंतहा है कामा ,
जो दिल को है झकझोर गयी
हर और दरिंदगी जुल्मी की ,
मानवता है किस और गयी
हर जुल्म के बदले में खाओ ,
कसमें वतन ए समता की
नकार दो उस जुबां को ,
जो बात करे हीनता की
वो लेते हैं संकल्प ऐसे ,
हम सबके विकास के साथ चले
मुकर जाते हैं वादों से ,
देखो जैसे है शाम ढले
फिर काली रात के साये में ,
उनके संकल्प खो जाते हैं
और नई सुबह की किरणों में ,
भुखमरी हमको दे जाते है
मत भूलो उन गद्दारों को ,
जो पावर में जनता से आते है
और लेकर सुख सुविधा सारी ,
दुश्मन की झूटन खाते हैं
हर दर्द का बदला लेना है ,
जनता में उन्हें अब आने दो
जनता उन्हें सबक सिखाएगी ,
पसंद /वरण अब आने दो
जो बात करे हीनता की
वो लेते हैं संकल्प ऐसे ,
हम सबके विकास के साथ चले
मुकर जाते हैं वादों से ,
देखो जैसे है शाम ढले
फिर काली रात के साये में ,
उनके संकल्प खो जाते हैं
और नई सुबह की किरणों में ,
भुखमरी हमको दे जाते है
मत भूलो उन गद्दारों को ,
जो पावर में जनता से आते है
और लेकर सुख सुविधा सारी ,
दुश्मन की झूटन खाते हैं
हर दर्द का बदला लेना है ,
जनता में उन्हें अब आने दो
जनता उन्हें सबक सिखाएगी ,
पसंद /वरण अब आने दो
Jo chhin rahen hain haq apne
Vohi desh drohi hain
Jinke dam par hain shasak vo
Vo aankhe hi ab royi hain
In aankho ke paani se hi
Dil ka shailab hai toot raha
Aswikaar karo satta ko unki
Jo haq apne hain loot rahe
ye julm ki intaha hai Cama
Jo jivan ko jhakjhor gayi
Har aur darindagi Julmi ki
Manavta hai kis aur gayi
Is julm ke badale me khao
Kasame Vatan e samata ki
Nakar do us jubaan ko
Jo baat kare hinta ki
Vo lete hai sankalp aise
Ham sabke vikas ke sath chalen
Mukar jate hai vadon se
Dekho jaise hai shaam dhale
Fir kali raat ke shaye me
Unke sankalp kho jaate hain
Dekho jaise hai shaam dhalo
Fir kaali raat ke shaaye me
Unke sankalp kho jate hain
Air nai subah ki kirano me
Bhukhmari hame de jaate hai
Mat bhulo un gaddaron ko
Jo power me janta se aate hain
Aur lekar sukh suvidha saari
Dushman ki jhuthan khaate hain
Har dard ka badala lena hai
Unko janta me ab aane do
Janta unhe sabak sikhayegi
Pasand /varan ab aane do
~dil ka shailab | Mahendra Cama
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