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मूलनिवासी सभ्यता संघ का देश में आगाज MSS KA DESH ME AAGAZ | MULNIVASI NEWS

  मूलनिवासी सभ्यता संघ का उत्तराखंड में आगाज MSS का उत्तराखंड में आगाज दिनांक 10 जुलाई 2022 को देह रादून उत्तराखंड में मूलनिवासी सभ्यता स...

 




मूलनिवासी सभ्यता संघ का उत्तराखंड में आगाज

MSS का उत्तराखंड में आगाज

दिनांक 10 जुलाई 2022 को देहरादून उत्तराखंड में मूलनिवासी सभ्यता संघ के एक दिवसीय प्रशिक्षण को देते हुए मूलनिवासी सभ्यता संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष माननीय डॉक्टर प्रोफेसर प्रभाकर निसर्गंधने बताया कि ग्रीक सभ्यता का पूरे विश्व में कब्जा है जोकि  इंडस सिविलाइजेशन की एक झलक है जिसको देखने से पता चलता है कि इंडस सिविलाइजेशन की झलक ग्रीक की सभ्यता में दिखाई दे रही है अध्यक्ष जी ने बताया कि इंडस सिविलाइजेशन में नेचर की पूजा होती थी  पीपल के पेड़ की पूजा होती थी यूरोप की सबसे सुंदर रचना इंडस सिविलाइजेशन की तरह दिखती है जिसमें वहां का ड्रेन सिस्टम इंडस सिविलाइजेशन में दिखाए गए ड्रेन सिस्टम के जैसा है इससे पता चलता है कि सिविलाइजेशन सभ्यता और महत्वपूर्ण सभ्यता थी जो आज विदेशों में भी दिखाई पड़ती है  साथ ही साथ उन्होंने बताया कि मूलनिवासी सभ्यता विश्व की सबसे पुरानी सभ्यता है जो यूरोप के देशों में भी दिखाई पड़ती है पर हमारे देश में लोग अपनी


 सभ्यता से परे हैं अपनी सभ्यता को पुनः स्थापित करना है जो कि मूलनिवासी सभ्यता संघ ने अपनी जिम्मेदारी बनाई है और उसे देश के कोने-कोने तक सभी लोगों तक लेकर जाने की जरूरत है जिसके लिए एम एस एस ने अपना कदम आगे बढ़ा दिया है और आज देहरादून उत्तराखंड में उसका आगाज एक दिवसीय प्रशिक्षण के द्वारा कर दिया है जिस में उपस्थित मूलनिवासी सभ्यता संघ के पदाधिकारी व बामसेफ राज्य कार्यकारिणी जिला कार्यकारिणी मक्कम कार्यकारिणी पीपीआईडी कार्यकारिणी के पदाधिकारी और सदस्य और देहरादून के अन्य एक्टिविस्ट उपस्थित रहे है । अध्यक्ष जी के द्वारा दी गई जानकारी को सभी ने ग्रहण किया और उस पर काम करने के लिए संकल्प लिया प्रशिक्षण के सेकंड सेशन में अध्यक्ष जी ने बताया कि मूलनिवासी संघ का जन्म हो गया है जिसको हम अधिवेशन के रूप में औरंगाबाद महाराष्ट्र में अक्टूबर माह के अंतिम सप्ताह में अधिवेशन के रूप में मनाने वाले हैं उसका नाम BIRTH OF MSS रखा गया है  मूलनिवासी सभ्यता संघ के अधिवेशन के माध्यम से लोगों को मूलनिवासी सभ्यता के बारे में बताना उन्हें इस अधिवेशन को देखने से पता चलेगा कि अभी तक जो बामसेफ मूलनिवासी संघ के अधिवेशन उन्होंने देखे हैं यह अधिवेशन उनसे बिल्कुल अलग होने वाला है जिसमें मूलनिवासी ड्रेस मूलनिवासी फूड फेस्टिवल मूलनिवासी ड्रेस फेस्टिवल चित्र फ़ोटो गैलरी गीत संगीत मूवी डांस आदि और बुद्धिजीवी लोगों के लिए कॉन्फ्रेंस रखी गई है और महिलाओं के लिए मेहंदी और गहनों के लिए फेस्टिवल कई राज्यों की मूल निवासी वेशभूषा ड्रेस की प्रदर्शनी लगाई जाएगी वहां गहने और मेहंदी और वहां की ड्रेस पेंटिंग आदि मिलने वाली हैं । आप फ़ूड फेस्टिवल में अपनी पसंद का व अन्य राज्यों के खान पान का लुफ्त उठा सकते हैं । थोड़ा पैसा देकर और साथ ही साथ  मूल निवासी सभ्यता संघ की जानकारी जो मूलनिवासी संघ बच्चे युवा और महिलाएं सभी को इस अधिवेशन से देना चाहते हैं उसकी झलकियां यहां देखने को मिलने वाली है जिसको मूलनिवासी संघ को व्यक्त करने के लिए भाषा बोली पहनावा चित्रकारी और मूलनिवासी विचारधारा का ज्ञान यह सब मिलने वाला है  तथा बाबा साहब के द्वारा बनाया गया मिलिंद कॉलेज जो आज जर जर की स्थिति में है उसको देखने का अवसर मिलने वाला है जिसको बाबा साहब ने खुद ड्राइंग करके बनाया है तो इस तरह की बहुत अच्छी जानकारियां इस अधिवेशन में आने वालों को मिलने वाली है जो कि बच्चे बड़े युवा और महिलाओं के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है जो व्यक्ति इस अधिवेशन को मिस कर देगा और उनके बाद अधिवेशन से आने वाले व्यक्ति जो उनको जानकारी देंगे उनसे मिलने वाली जानकारी को पाकर वह अपने आप में यह महसूस करेगा कि उसने इस अधिवेशन में ना जा कर बहुत बड़ी भूल कर दी है और वह अवसर उसको अब अगले सालों में जाकर मिलेगा उसको बहुत पछतावा होगा तो जो लोग इस अधिवेशन में आना चाहते हैं उनके लिए राष्ट्रीय अध्यक्ष ने अपनी ओर से मूलनिवासी सभ्यता संघ की ओर से उनको निमंत्रण दिया और यह आह्वान किया कि उत्तराखंड से अधिक से अधिक लोग इस अधिवेशन में सह परिवार पहुंचे और इस अधिवेशन का पूरा फायदा ले आनंद लें  औरंगाबाद और लेह लद्दाख में जो मूलनिवासी विचारधारा से जुड़े हुए जगह है पर्यटक स्थल हैं कुछ जानकारियां हैं उनका नजारा देखें और आकर अपने समस्त साथियों को और आसपास के लोगों को बताएं ।
जय भीम
जय मूलनिवासी
जय संविधान
जय भारत  ।।




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