Page Nav

HIDE

Grid

GRID_STYLE

Classic Header

{fbt_classic_header}

Latest Poems

latest

आओ हम मिलजुलकर AAO HAM MILJULKAR | MULNIVASI POEM

            आओ हम मिलजुल कर चलो हम मिलजुल कर सभ्यता अपनी लायेंगे आओ हम मिलजुल कर सुंदर जहां बनाएंगे समता वाली राहें सबको न्याय सभी के हक...

           आओ हम मिलजुल कर


चलो हम मिलजुल कर सभ्यता अपनी लायेंगे
आओ हम मिलजुल कर सुंदर जहां बनाएंगे
समता वाली राहें सबको
न्याय सभी के हक में हो
आजादी हो हर जीवन को
बंधुता के आदि हो
इन नैनो में स्नेह बसा हो ऐसा युग हम लाएंगे

चलो हम मिलजुल कर सुंदर जहाँ बनाएंगे
आओ हम मिलजुल कर सुंदर जहां बनाएंगे

निति फुले जैसी जिसमे सपने शाहू के सच हों
ज्ञान के पथ पर चलकर हम तो
चैन ओ अमन अपनाएंगे
चलो हम मिलजुल कर ऐसा जहाँ बनाएंगे
आओ हम मिलजुल कर सभ्यता अपनी लायेंगे

ना भूखा हो कोई मुल्क में ना कोई परेशानी हो
उन्नति के पथ पर हो सब अच्छी जिंदगानी हो
वंचितो का मुल्क पे शासन भीम युग हम लायेंगें
चलो हम मिलजुल कर सभ्यता अपनी लायेंगे
आओ हम मिलजुल कर सुंदर जहां बनाएंगे

आडम्बर से दूर रहेगें पंचशील अपनाएंगे
वैज्ञानिक की राह है बेहतर
राह वही अपनायेंगें

चलो हम मिलजुल कर सभ्यता अपनी लायेंगे
आओ हम मिलजुल कर सुंदर जहां बनाएंगे

~ आओ हम मिलजुलकर | महेंद्र कामा




No comments