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गुरु पूर्णिमा GURU PURNIMA

  धम्म चक्क पवत्तन दिवस आज धम्म चक्क पवत्तन दिवस है और कुछ लोग इसे आषाढि पुर्णिमा या गुरु पूर्णिमा के नाम से भी जानते है। बुद्ध धम्म मे आज ...

 


धम्म चक्क पवत्तन दिवस

आज धम्म चक्क पवत्तन दिवस है और कुछ लोग इसे आषाढि पुर्णिमा या गुरु पूर्णिमा के नाम से भी जानते है। बुद्ध धम्म मे आज का दिन अत्यंत महत्वपूर्ण है। आज से वर्षावास प्रारम्भ हो रहा है। आज के दिन ही तथागत बुद्ध ने सारनाथ (इसि पत्तन मृगदाव), वाराणसी में बहुजन हिताय-बहुजन सुखाय का प्रथम उपदेश पञ्चवर्गीय भिक्खुओं को दिया और इस प्रकार आज के दिन ही भिक्खु संघ की स्थापना हुई। तब से लेकर अपने महापरिनिर्वाण तक तथागत बुद्ध रुके नहीं हमेशा चारिका करते रहे और धम्मदेशना देते रहे । केवल वर्षावास के लिए तथागत बुद्ध रुकते थे नहीं तो हमेशा बहुजन हिताय-बहुजन सुखाय के लिए चारिका करते रहे। इसलिए बाबा साहब डा अंबेडकर को तथागत बुद्ध की चलती हुई प्रतिमा(Walking Buddha) सबसे पसंद थी क्योकि तथागत बुद्ध पूरे जीवन भर चलते रहे और रुके नहीं। बाबा साहब डॉक्टर अंबेडकर का मानना है कि तथागत बुद्ध न केवल धार्मिक क्रांति की बल्कि उससे बढ़कर उन्होंने सामाजिक क्रांति की। तथागत बुद्ध का जिक्र किये बिना भारत में सामाजिक क्रांति का इतिहास बताया नहीं जा सकता है। तथागत बुद्ध ने अनित्य अनात्म और दुःख का दर्शन देकर वेद को नकार दिया। तथागत बुद्ध ने करुणा मैत्री मुदिता उपेक्षा का संदेश देकर जन्म के आधार पर भेदभाव को नकार कर समतामूलक समाज का मार्ग प्रशस्त किया।

आज के ही दिन तथागत बुद्ध ने भिक्खुओ को धम्मदेशना करते हुये यह गाथा सारनाथ मे (धम्म चक्क पवत्तन सूत्र) कही कि,

चरथ भिक्कवे चारिकं बहुजन हिताय बहुजन सुखाय।।

लोकांनुकंपाय, अत्थाय हिताय, सुखाय देव मनुस्सान।।

देसेथ भिक्खवे धम्म... आदि कल्याण.... मज्झे कल्याण।।

परियोसान कल्याण। सात्थं सव्यज्जनं केवल

परिपुण्णं परिशुद्ध ब्रम्हचरियं पकासेथ।।

अर्थात ऐ भिक्खुओ जाओ चरिका करो। उस विचारधारा के लिए जो बहुजनो के हित में है, जिस विचारधारा में बहुजनों का सुख है, जो विचारधारा शुरू में बहुजनो का हित चाहती है, जो मध्य में बहुजनों का हित चाहती है और अन्त में भी जिस विचारधारा मे बहुजनों का हित है, उसी विचारधारा को स्थापित करो। दो एक दिशाओं मे मत जाओ। अलग अलग दिशाओ मे और जिस धम्म मे सबका कल्याण है उस धम्म को सबको बताओ।

भिक्खुओ ! “कामवासना” और “शरीरपीड़ा” इन दो अतियों से बचो । मैंने नया मध्यम मार्ग खोज निकाला है, जो नई दृष्टि देनेवाला है। वह यही “आर्य आष्टांगिक मार्ग” है।

1- सम्यक दृष्टि

2. सम्यक संकल्प

3 सम्यक वाचा

4 सम्यक कर्म

5 सम्यक आजीविका

6 सम्यक व्यायाम

7-सम्यक स्मृति

8 सम्यक समाधी:



“मेरे धम्म का उद्देश्य विश्व की निर्मिती करना नही है, उसकी पुनर्रसंरचना करना है, बहुजन हिताय, बहुजन सुखाय, लोकानुकम्पाय, आदि कल्याण, मध्य कल्याण और अन्त्य कल्याण करना है तथा जो असामान्य (देव (मुनि), बुद्धिमान) और सामान्य (श्रमण, गृहस्थ, अनाड़ी) इन लोगों के लिए सुखकर है...वह दुख निरोध गामिनी, प्रतिपदा सत्य, “आर्य अष्टांगिक मार्ग” है.”


इस महान अवसर पर सभी बौद्ध उपासकों को धम्म चक्क पवत्तन दिवस के शुभ अवसर पर हार्दिक शुभकामनाएं.....!!!


नमो बुद्धाय

जय भीम - जय मूलनिवासी - जय संविधान- जय भारत॥







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