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बामसेफ से मिल रही है भारत को सही दिशा | BAMCEF 21th STATE CONVENTION UTTRAKHAND

  भारतीय संविधान सम्मान सुरक्षा संवर्धन BS-4 राष्ट्रव्यापी महा जन जागरण अभियान के अंतर्गत  21 वा बामसेफ राज्य अधिवेशन 2022 उत्तराखंड   दिना...

 





भारतीय संविधान सम्मान सुरक्षा संवर्धन BS-4 राष्ट्रव्यापी महा जन जागरण अभियान के अंतर्गत 
21 वा बामसेफ राज्य अधिवेशन 2022 उत्तराखंड 


दिनांक 10 सितंबर 2022 शनिवार से 11 सितंबर 2022 रविवार तक स्थान रेड कारपेट बैंक्विट एंड लॉन हरिद्वार रोड शेरपुर रुड़की हरिद्वार मैं उद्घाटन सत्र समय 10:00 से 11:00 बजे तक जिसमें संचालन देवेंद्र कुमार राज्य महासचिव बामसेफ उत्तराखंड स्वागत संबोधन माननीय आर के गौतम राज्य अध्यक्ष बामसेफ उत्तराखंड उद्घाटन माननीय पदम कुमार सेवानिवृत्ति अतिरिक्त महानिदेशक बीआरओ मुख्य अतिथि माननीय डॉ लक्ष्मण यादव प्रोफेसर दिल्ली विश्वविद्यालय विशिष्ट अतिथि माननीय अजय पटेल महाप्रबंधक यूजेवीएन लिमिटेड देहरादून अध्यक्षता माननीय संजय मोहिते राष्ट्रीय संगठन सचिव बामसेफ ने की है ।




प्रति वर्ष की भांति इस वर्ष भी देश में बामसेफ के राज्य अधिवेशन अगस्त और सितंबर के महीने में आयोजित हुए हैं देश भर में  भारत के ज्वलंत मुद्दों पर जोर शोरों से चर्चा होने लगी है उसी क्रम में आज उत्तराखंड में बामसेफ का 21 वा राज्य अधिवेशन शेरपुर हरिद्वार में किया गया जिसमें वर्तमान में भारत में ज्वलंत मुद्दों पर विषय को रखकर वक्ताओं ने अपनी बात रखी प्रबोधन सत्र वन में विषय निजीकरण और आउटसोर्सिंग के दुष्प्रभाव से निपटने की जवाबी रणनीति एक राष्ट्रव्यापी मंथन इस विषय पर अपने विचार रखे  सत्र का संचालन अनिल कुमार टम्टा ने किया जो कि संगठन सचिव बामसेफ उत्तराखंड है ।

प्रस्तावना मान्य आदेश गौतम राज्य उपाध्यक्ष बामसेफ उत्तराखंड है वक्ता गण माननीय डॉ सीमा माथुर प्रोफेसर दिल्ली यूनिवर्सिटी सुमित चौहान माननीय सुमित चौहान संपादक न्यूज़ दिल्ली माननीय संजय मोहिते राष्ट्रीय संगठन सचिव बामसेफ ने इस सत्र की अध्यक्षता की निजी करण और आउटसोर्सिंग के दुष्प्रभाव से निपटने की जवाबी रणनीति एक राष्ट्रव्यापी मंथन पर वक्ताओं ने अपनी बात को रखा जिसमें सुमित चौहान ने निजीकरण और आउटसोर्सिंग के प्रत्येक डिपार्टमेंट की गणना आंकड़े देते हुए जानकारी देते हुए अधिवेशन में उपस्थित सभी साथियों को अवगत कराया और साथ ही साथ अधिवेशन में आए हुए विद्यार्थियों को उनके मार्गदर्शन के लिए किस किस क्षेत्र में तैयारी करके अपना कैरियर बनाना चाहिए उसकी जानकारी भी दी उसके बाद माननीय संजय मोहिते ने अध्यक्षता करते हुए सभी का मार्गदर्शन करते हुए निजी करण और आउट सोर्सिंग के दुष्प्रभाव से निपटने की जवाबी रणनीति पर अपने विचार रखे निजी करण और सरकारी कार्य के लिए कर्मचारियों की आउट सोर्सिंग ठेकेदारी पर नियुक्ति के ब्राह्मणी षड्यंत्र में देश की जनता पूरी तरह से पीसी जा रही है देखा जा रहा है कि राष्ट्र विरोधी तत्व जब किसी सरकारी संस्था न्याय व्यवस्था को निजी करण करने में असमर्थ होते हैं तो उसे आउट सोर्स कर देते हैं । कुल मिलाकर देश में छुपा विदेशी तंत्र येन केन प्रकारेण राष्ट्र की संपदा और व्यवस्था पर व्यक्तिगत कब्जा करने में व्यस्त है निजी करण के कारण जहां गरीब और अमीर के बीच की खाई बढ़ गई है और देश में भयंकर बेरोजगारी पैदा हो गई है आउट सोर्स ठेकेदारी के माध्यम से मजदूरों का भयंकर शोषण हो रहा है आउट सोर्स ठेकेदारी व्यवस्था के तहत श्रमिक कर्मचारी अपने ही देश में घुटन महसूस कर रहे हैं संविदा पर काम करते हुए अन्याय अत्याचार के विरुद्ध शिकायत तक दर्ज नहीं कर पा रहे हैं वह भयभीत वातावरण में कैद हैं फिर भी पीड़ित जनता को मुक्त मुक्त के लालच में देकर गुलामी की निंदा किया जा रहा है । अतः उन्हें मुक्ति का कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा है नजारा यह भी है कि सरकारी बुद्धिजीवियों की कल्पना शक्ति कुंद हो गई है । उन्होंने निजीकरण के आगे घुटने टेक दिए हैं उन्होंने यह अपरिवर्तनीय लगता है हमारे समाज के अन्य प्रबुद्ध साथी समायोजन की भाषा बोल रहे हैं वह भूल गए हैं कि वे परिवर्तन धारा के वाहक हैं ऐसी स्थिति में हमें कोई रास्ता निकालना होगा प्रबोधन सत्र -2 शनिवार 10 सितंबर 2022 दोपहर 2:20 से 5:00 बजे तक जाति आधारित जनगणना में जन भावना का दमन जन विद्रोह के लिए आमंत्रण ।
संचालन पवन कुमार जी राज्य कार्यकारिणी सदस्य बामसेफ उत्तराखंड
प्रस्तावना देवेंद्र अग्निहोत्री राज्य उपाध्यक्ष बामसेफ उत्तराखंड वक्ता गण मा. राजेश पाल प्रोफेसर डी ए वी कॉलेज देहरादून
माननीय डॉ विनोद आर्य प्रोफेसर पंजाब सेंट्रल यूनिवर्सिटी
डॉक्टर लक्ष्मण यादव प्रोफेसर दिल्ली यूनिवर्सिटी माननीय सैनी सामाजिक चिंतक सहारनपुर अध्यक्षता माननीय अनिल कुमार उज्जैनवाल राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य बामसेफ ने की इसमें अपनी बात को रखते हुए जाति की गणना को करते हुए बताया कि अगर देश में जातियों की गणना होगी तो देश में जो प्रतिनिधित्व का मामला है जो लोगों को अवसर और लाभ का मामला है वह खुलकर सामने आएगा क्योंकि जो लोग देश में सिर्फ 15 परसेंट है वह देश में 85 परसेंट अवसरों पर बैठे हुए हैं 85 परसेंट लाभ ले रहे हैं और जो 85 परसेंट लोग हैं वह 15 परसेंट में ही सिमट कर रह गई हैं चाहे व्यापार देख लो व्यापारियों में वही 15 परसेंट लोग मार्केट में कब्जा किए हुए हैं राजनीति में देख लीजिए वहीं 15% लोग 85 परसेंट राजनीति पर उनका कब्जा है सरकारी नौकरी और नौकरियों में भी निम्न स्तर की नौकरियों से लेकर उच्च स्तर तक वहीं लोग कब्जा किये हुए है अगर हम जाति के रूप में देखें तो जनरल में सबसे ज्यादा ब्राह्मण जो कि देश में 3 परसेंट है और वह सबसे ज्यादा 97 प्रतिशत पर अपना कब्जा किये हुए है जनरल की सारी सीटों पर वही काबिज है जबकि बाहुबली क्षत्रिय को भी उसका हिस्सा सही अनुपात में नही मिल रहा है वैश्य उनके मामले में कहीं भी नजर आ रहे हैं जाति गणना होने से यह सारे जाति जनगणना शुरू होने से और उसके आंकड़े आने से वह सारे लोग अपने हक अधिकार और अपने प्रतिनिधित्व की मांग करने लगेंगे जिससे सत्ता में बैठे व्यापार में बैठे और सरकारी नौकरियों में बैठे ब्राह्मण की संख्या पर फर्क पड़ेगा इसलिए सत्ता में बैठे ब्राह्मणी विचारधारा के लोग मनुवादी विचारधारा के लोग देश में जातीय जनगणना का विरोध कर रहे हैं और वह उसको होने नहीं दे रहे हैं इस तरह के विचार इस सत्र में वक्ताओं ने रखें खास करके डॉक्टर लक्ष्मण यादव ने इस विषय पर बहुत ही बारीकी से लोगों को बताया और मार्गदर्शन किया उसके बाद प्रतिनिधित्व भाग-1 समूह चर्चा जो  5:30 बजे से 8:30 बजे तक विषय BS-4 अभियान संविधानवाद की व्यवहारिक पहलू एवं क्रियान्वयन इसका संचालन माननीय विनय कुमार कोहली ने किया प्रस्तावना समूह चर्चा से भागी प्रतिनिधि गण अध्यक्ष सामान्य आरके गौतम ने की भारतीय संविधान सम्मान सुरक्षा एवं संवर्धन BS-4 अभियान के अंतर्गत भारत के संविधान के संदर्भ में महाजन जागरण जारी है इसमें संविधान की व्यवस्था विचारधारा सिद्धांत व मूल्यों को समाज में स्थापित करना है इसे ही संविधानवाद कहा जा रहा है ऐसे ही धरातल पर लागू करने के लिए जो व्यावहारिक कार्यक्रम बनाया गया उनके बहुआयामी पहलू हैं उन्हें समझना समझाना व क्रियान्वित करने की प्रक्रिया गतिमान है उससे उत्पन्न अनुभव समग्र चर्चा और संगठन की आंतरिक शक्ति का अवलोकन करने हेतु यह सत्र निर्धारित है इसमें 5 से 40 सदस्यों का एक समूह बनाकर BS-4 की तीव्र गति के धरातल पर स्थापित करने के तरीके और केंद्रीय नियोजन को क्रिया पर चर्चा की गई और उत्तराखंड के जिलों में से उपस्थित जिलों के बामसेफ जिला अध्यक्ष ने अपने जिले में बस-4 की रणनीति और किस जिले में कितना कार्य हो चुका है और आने वाले समय में किस तरह से कार्य करेगा उस पर सभी लोगों के सामने अपने जिले की बात को रखते हुए अपने जिले की स्थिति से अवगत कराया है 
11 सितंबर रविवार 2022 प्रातः 9:30 बजे से 10:30 बजे तक



मूलनिवासी सभ्यता संघ द्वारा मूलनिवासी सभ्यता संघ के बारे में जानकारी दी और मूलनिवासी सभ्यता संघ उत्तराखंड के पदाधिकारियों ने सदस्यों ने वहां पर मूलनिवासी गीत मूलनिवासी कविताएं और साथ ही साथ म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट जाकर लोगों को मूलनिवासी गीत  कविताओं के माध्यम से समझाया और उनको बताया कि मूलनिवासी सभ्यता संघ ने पूरे देश में अपना कार्य शुरू कर दिया है उत्तराखंड में इस साल राज्य कार्यकारिणी बनी है और आने वाले 26 और 27 अक्टूबर 2022 में औरंगाबाद में हम मूलनिवासी सभ्यता संघ का राष्ट्रीय अधिवेशन करने जा रहे हैं जिसको बर्थ ऑफ एस एस एस का नाम दिया गया है जिसमें आप सभी देखेंगे कि वहां फूड फेस्टिवल, ड्रेस फेस्टिवल, चित्रकारिता ,लोकगीत फोगगीत, नृत्य ,नाटक ,फिल्में ,व महिलाओं के लिए आभूषण फेस्टिवल, और बुद्धिजीवी बामसेफ के लोगों को कॉन्फ्रेंस ,करते हुए देखेंगे जो समाज में नए-नए मूलनिवासी शब्द उनके अर्थ सबको बताएंगे जिससे समाज में जो लोग दूसरी विचारधारा के शब्दों को बोलते रहते हैं उन पर अंकुश लगे और मूल निवासी विचार कि वह शब्द समाज वह शब्द समाज जीवन में पूरे देश में प्रभावित हो प्रचार में आए प्रसार में आए साथ ही साथ
मूलनिवासी सभ्यता संघ की राज्य कार्यकारिणी जो मंच पर अपना कार्य मूलनिवासी साहित्य और कलाचार का कार्यक्रम प्रस्तुत किया जिसमे मा. महेंद्र सिंह कामा राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य
मूलनिवासी सभ्यता संघ के कोषाध्यक्ष मा. घनश्याम जी  राज्य इकाई उत्तराखंड , सदस्य मा. बिशम्भर सिंह तूफान और मा. वेदव्यास गौतम ने बहुत अच्छे आंदोलन के गीत महापुरुषों के गीत सुनाए और लोगों को आंदोलन का परिचय गीत संगीत के माध्यम से कराया  


और म्युजिक इंस्ट्रूमेंट बजाकर लोगों को मूलनिवासी विचारधारा के गीत से अवगत कराया और उनको मूलनिवासी सभ्यता संघ की ओर प्रेरित किया ।
साथ ही साथ मूलनिवासी सभ्यता संघ के इस कार्यक्रम में मूलनिवासी सभ्यता संघ 
राष्ट्रीय कार्यकारिणी 
सदस्य मा. महेंद्र सिंह कामा 


ने भी मूलनिवासी गीत और कविताएं महापुरुषों के आंदोलन पर सुनाते हुए उपस्थित लोगों को


 मूलनिवासी सभ्यता संघ की जानकारी दी और महापुरुषों के कारवां को आगे बढ़ाते हुए उन को प्रेरित किया कि आप भी इस आंदोलन में अपनी सहभागिता बढ़ाएं और साथ ही साथ यह आह्वान किया कि पूरे राज्य में कहीं भी कोई लोग जो फोग गीत लोकगीत लेखक गीत कविता लिखने वाले या मूलनिवासी खेल जैसे पहलवानी करते हैं जो धरातल से जुड़े हुए खेल खेलते हैं तो वह  हम से जुड़े हम उनको अच्छे से वह मंच देंगे ताकि वह समाज जीवन में जाकर उन खेलो को लोगों तक पहुंचाएं और वह तब विद्यालय से महाविद्यालय तक सलेबस में आये और यह समाज जीवन में निर्माण हो जब तक यह समाज मे विकसित नहीं होगी तब तक यह हमारे विद्यालय सलेबस में नहीं होगा इस तरह से मूलनिवासी सभ्यता संघ ने अपनी जिम्मेदारी को पूरे देश में लिया है और उस पर कार्य करना शुरू कर दिया है जिन बिंदुओं पर मूलनिवासी सभ्यता संघ ने कार्य करना शुरू किया है वह बिंदु हैं
कला जिसमें लोकगीत नृत्य फिल्म डॉक्यूमेंट्री पर कार्य करने वाले कलाकार डायरेक्टर उन लोगों को देश में और राज्यों में मूल निवासी सभ्यता खोज रहा है और उनको तैयार कर रहा है अपना मंच दे रहा है ठीक उसी तरह से
साहित्य की बात करें तो बोली भाषा गीत जो भी भारत में अनेक तरह की मूल निवासियों लिया है उनमें उनको ढूंढ रहा है उन्हीं की बोली में साहित्य लेखक लिखवा कर लोगों तक जन-जन तक भारत के हर राज्य में लेकर जा रहा है उसी तरह से तीसरा पॉइंट है
सामाजिक विज्ञान उसमें महापुरुषों की जीवनी या उस पर लेख समाज में जो हमारे मूलनिवासी लोग हैं उनके जीवन की स्थिति को दर्शाने के लिए बेहतर करने के लिए सामाजिक जीवन एक बिंदु है जिस पर मूलनिवासी संघ कार्य कर रहा है । खेल , खेल जगत में अगर हम देखते हैं तो धरातल से जुड़े हुए भारतीय मूल निवासियों के खेल आज विश्व पटल पर कहीं भी नहीं दिखाई दे रहे हैं तो भारत में मूल निवासी सभ्यता संघ ने मूल निवासी खेलों को जो धरातल से जुड़े हुए हैं उन
 पर छात्र-छात्राओं को पुरुष और महिलाओं को खोजना शुरू कर दिया है और उन्हें ट्रेंड करना शुरू कर दिया है जो हमारे हर जिले हर राज्य में जाकर वह खेल से अवगत कराएं और उनको निपुण कराएं ताकि वह खेल आने वाले समय में विद्यालय और महाविद्यालय तक पहुंचे और जो राष्ट्र के खेल हैं उनके साथ दिखाई दें
और
पांचवा बिंदु
मानवीय मूल्य - रहन-सहन खान-पान वेशभूषा ,बोली ,भाषा  आदि मूलनिवासी लोगों के हकों पर कोई अंकुश ना हो
उन पर फिर मूलनिवासी लोगों का कब्जा हो ऐसी भावना के साथ मूलनिवासी सभ्यता संघ ने पांच बिंदुओं पर अपना कार्य करना शुरू कर दिया है जो उपरोक्त आपको बताए गए हैं ।
जय भीम !
जय मूलनिवासी !!
जय संविधान  !!!
जय भारत !!!

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